दांडेली शिक्षण संस्थान
बंगूरनगर कला, विजजान एवं वाणीज्य कालेज दांडेली (उ.क.)
हिन्दी विभाग
इतिहास एवं उत्पत्ती :
महाविद्यालय का आरंभ १९७४ में हुआ, तब से हिन्दी विषय को आवश्यक एवं ऐच्छिक रुप में बी.ए. और बी.एससी तथा बी.काम की कक्षाओं में प्रस्तुत किया गया । दांडेली को छोटे भारत के नाम से जानते हैं, क्योंकि यहाँ रहनेवाले लोग भारत के अल्ग-अलग राज्य से यहाँ आकर बसे हुए है और सब शांति , एकता एवं समानता से रहते हैं । भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आनेवाले छात्र तथा छात्राओं को हिन्दी विषय दसवी और ग्यारहवी , बारहवी की कक्षाओं में प्रस्तावित किया जाता है । अत: श्रेणी स्तर पर हिन्दी विषय कई विद्यार्थियों को आकर्षित करता है ।
प्रारंभिक शैक्षणिक सालों में जिन व्याख्याताओं ने महाविद्यालय में हिन्दी विषय का अध्यापन किया हैं वे - श्री. आर.सी. सिंह और श्री के.एल. मिश्रा जो उत्तरप्रदेश के नोवासी थे । तथा दो चयन किए हुए श्रेणी बद्ध व्याख्याता श्री एच.एम. अमींगड और श्रीमती मुक्ता पालंकर थे । इनके बाद श्रीमती रजनी मिश्रा, श्रीमती रेश्मा त्रिपाठी , कु, अर्चना पी. मंजुनाथ बार्केर, मालती वर्मा तथा स्वाती कदम अस्थायी व्याख्याता के रुप में कार्य कर चुके हैं । अभी डा. बी.एल.गुंडूर सहायक प्राध्यापक के रुप में तथा श्रीमती कल्पना मिश्रा अस्थायी व्याख्याता के रुप में कार्य कर चुके हैं । आज बी.एससी प्रथम और द्वितीय कक्षा में हिन्दी विध्यार्थियों की संख्या ३२, बी.काम प्रथम वर्ष में १६ तथा बी.ए.प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में ऐच्छिक १४ है । परिणाम स्वरुप जब से महाविद्यालय का आरंभ हुआ तब से आज तक हिन्दी विभाग के लगातार हर वर्ष ९८% से ज्यादा विद्यार्थि उत्तीर्ण हो रहे हैं ।
हिन्दी विभाग का उद्देश्य :
हिन्दी राड्ढ्रभाषा के रुप में घोषित होने के कारण उसका प्रचार-प्रसारार्थ हेतु हिन्दी को एक भाषा के रुप में विद्यार्थियों को सिखाने से उन को राड्ढ्रीय संबंध स्थापित करने में मदद होता है । साथ ही साथ हिन्दी साहित्य तथा उसके मौिक परंपरा की जानकारी विद्यार्थियों को देना इस विभाग का उद्देश्य है ।
हिन्दी विभाग कर्नाटक विश्व विद्यालय धारवाड तथा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, धारवाड जो हिन्दी अनुसंधान केन्द्र हैं उनकी मदद द्वारा विद्यार्थियों को उत्तेजित किया जाता हैं कि वे विचार संगोष्ठि तथा अधिवेशन में भाग लें जो हिन्दी भाषा से संबंधित रहता है । इसके साथ हिन्दी विभाग विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करता है कि वे स्वयं अपने आप को नये विचार धारा, प्रवृत्ति के साथ हिन्दी साहित्य को भलीभांति जानें इसके साथ इनको अपनीिए इनको प्रयोजन पाक सतताभ्यास करने केिए सूचित करती है ।
अपनी अभिरुची के अनुसार विशय देकर विचार-गोष्ठि का आयोजन किया जाता है । हर साल यह सिलसिला बराबर जारी रहता है ।
इस विभाग के अध्यापक वर्ग अपना अध्ययन अध्यापन के साथ-साथ विविध कालेज, विश्व विद्यालयों में आयोजित राज्य स्तरीय राड्ढ्रीय तथा अंतराड्ढ्रीय विचार गोष्ठीयों में भाग लेते हैं । डा. बी. एल. गुंडूर अध्यक्ष हिन्दी विभाग ने अनेक विचार गोष्ठियों में भाग लेकर कई प्रपत्र प्रस्तुत किये हैं ।
विचारगोष्ठि तथा सम्मेलन :
हिन्दी विभाग हर साल १४ सितबंर को हिन्दी दिवस बडे उत्साहपूर्वक मनाता है ।
हिन्दी विभाग छात्रों केिए विविध विषयों पर विचारगोष्ठियों का आयोजन करता है ।
उद्योग मार्गदर्शक केन्द्र :
हिन्दी विभाग की ओर से हिन्दी छात्रों केिए उद्योग मार्गदर्शक केन्द्र द्वारा उद्योग की जानकारी तथा उनको मार्गदर्श के साथ-साथ प्रशिक्षण भी दिया जाता है ।
ग्रंथालय की सुविधा :
किताबों की संख्या : २७८२
ग्रंथ समूहों की संख्या ट्ट २१८
मासिक पत्रिका : ०१(हंस)
दैनिक : ०१ (राजस्थान पत्रिका )
व्यय राशी ट्ट छ: साल में ट्ट १७२९१
भविष्य की दृष्टिकोन में
प्रयोजन मूलक हिन्दी जो वर्तमान समय में अत्यावश्यक है उसे परिचित करना ।
अनुवाद, पत्रलेखन तथा कार्यालयी शब्दकोश के ओर छात्रों को आकर्षित तथा प्रेरक करना ।
हिन्दी भाषा में गणकयंत्र का प्रयोग कराना ।